'आ ' वर्ण बटिक शुरू हुणी कुछ कुमाउनी शब्द.आपूं हैं बे यथा संभव सहभागिता और सहयोग लै चैंछ!
(नयीं म्यलमें आपण तरफाक शब्द जरूर भेजिया) आफर - लौहार का कार्यस्थल
- आट - किसी बोरे या थैली मे सामान ठूसना
- आलण - पीसा हुआ चावल आदि। जिसे दाल आदि गाढ़ा हो सके
- आसर - सहारा
- आदेस-आदेश, आज्ञा
- आण -सपथ , कसम, सौं-ते री आण पड़े
- आड़ि- लम्बू/लंबू
- आ वे/आ ए -आओ
- आयीं -आए थे
- आल -आऐंगे
- आला -आओगे, एक यंत्र
- आजि -और ज्यादा , फिर
- आली -आयेगी
- आंगण -आंगन
- आनण -आंख के पलक की फुंसी
- आंकण -आकना, किमत लगूण
- आंक्षेत -अकच्छ्यत
- आपूं -आप, तुम
- आलण् - बिश्वास, आटे बेशन या पिसे चावल का घोल जो दाल, कड़ी गाड़ा करने के लिए बनाया जाता है
- आहाण - आण, पहेली,
- आर्सि -दर्पण, आइना, शीशा
- आ्र -आरि ,लकड़ी चीरने का आरा/आडू -एक फल
- आफर -लोहार की कार्यशाला
- आमद -आमदनी, आय, लाभ
- आयंदा -आइंदा, आगे से, फिर से
- आफी -अपने आप, स्वयं, खुद
- आदु - आधा ,अदम,
- आघि/आघी- कुछ समय पैली, कुछ समय पहले
- आगल,आगव -अर्गला
- आगर -खान, घातुमान विशष लोहा आदि
- आंव -औं,मलके साथ आनै्वाला सफेद चिपचिपा पदार्थ
- आंच -आग की तपिश, रफैन, लपट, उष्मा तेज गर्माहट
- आंचल/ आचोव -आंचल
- आड•-अंग , शरीर, देह
- आ्द -अदरक
- आद -नमी
- आन् -बैर भाव, दुस्मनी,
- आर्यावर्त -क्षेत्र का नाम, मध्यदेश
- आदिम -आदमी, व्यक्ति, मनुष्य, मैंस, मन्खि,मानव आदिमानव (ग०.. बैख, मलख, झणा) (कु० बैग/बैक, मालक/मालिक,खसम,घर वाला)
- आस् -आशा, उम्मीद,
- आन -मान मर्यादा, गौरव
- आ्न -अण्डा,इकन्नी , आना
- आदत -स्वभाव, लत ,व्यसन
- आंख- नेत्र -शरीर में जन्मजात नीला याकाला धब्बा ,कली का उदगम स्थान
- आंखव -गन्ने का दो आंखों के बीच का टुकड़ा
- आंटव/ आंटयि -बाजा बजाने या खेलने का छोटा डण्डा
- आ्ग -अग्नी,
- आग -ईर्ष्या, जलन,
- आ्म -दादी
- आम -आम फल ,सार्वजनिक ,सर्वसाधारण/साधारण
- आंगड़ -अंगिरा,एक स्त्री परिधान
- आपण-अपना
- आफि-अपने आप
- आदुक-आधा
- आफुली-ज्यादा तवज्जो देकर या बच्चों को आफुली जातै है।
- आटण-ठौंस ठौस कर किसी चीज को भरना
- आसिली-आसाजनक या,,,,
- आफुही-अपने के लिए।
- आब -बाद में
- आल-आने वाला
- आद-अदरक
- आफुण-अपना।
- आड़ -फल का नाम
- आफ़न -अपने
- ऑल -झाड़ी खरपतवार
- आम -माताजी
- आशन -बिछवांन
- आशन-बैठक की जगह
- आल- आएंगे
- आंयूं -आया
- आंयां-आये
- आऊ-आऊं
- आंवा-आऐं
- आ-आओ
- आवन-आइये
- आचमन-जल लेना
- आपत् -आफत
- आक्षरी -अप्सरा
- आखर -अक्षर
- आस्ते -धीरे
- आड़-विघ्न
- आड़़-आड़ू
- आफि-अपने आप
- आछी-आया था
- आजि-और
- आहा!- सुंदर, अच्छा व स्वादिष्ट चीजों के लिए बोला जाता है।
- आरि- आरी
- आवा-हिम्मत
- आफी-अपने आप
- आंछा-आओगे
- आंखाव्-एक तरह की गाली
- आदु-आधा
- आसंण-आसन
- आपु-तुम या आप
- आंखि-आई फ्लु
- आंखोड़-अखरोट
- आपंण-मेरा
- आटंण--सर पे चोट लगकर फूल जाना
- आग्-आग
- आंस्-आंसू
- आसी रहनेलि-आशा में रहना या इंतजार करना
- आम्-अम्मा
- आब्-अब
- आंगौण ,आंगेणि--एक तरह का गरम वस्त्र स्वेटर जैसा
- आंठ्- गड्डी
- आंच--आग की गरमायी
- आंचोव-आंचल
- आंचुइ--अंजलि, दोनों हथेलियों को मिलाकर जो ...
- आंछेत--अक्षत
- आड़--सहारा
- आफत - परेशानी
- आट - पीसू
- आज- आज
- आनंद - खुशी
- आश्-- आशा,उम्मीद
- आसामि- दूसार कैं जमीन कमूण हैं दिण
- आपण - अपना
- आजि - और
- आल-आलू
- आसंण-गद्दि
- आलंण-झोइ, चुड़काणि कैं गाढ़ बणूंणा ल्हिजी
- आफर- दातुल भान् पार् धार लगूणी
- आलस-काम करैं हैं मन नि हुण
- आघिल् -अघाड़ि
- आमद-प्राप्त हुण
- आजि= ऐल् तक
- आलि- पुरि निकालनेर
- आसीन- भोजन ठंड करनु
- आदेश- गुरु को आदेश
- आंछरि- परि
- आंस -पत्थर पर लकीर
- आटो- जौं क् पिस्यूं
- आंखर- अक्षर(तुम आदि आंखर ले नी बोल्या)
- आदो- अदरक
- आंसि- दातुलि
- आशीष- शुभ आशीर्वचन
- आदलि-कुशलि -हालात
- आदिम- जनता
- आपनु -अपना
- आंच-कूंच -दूरदराज
- आगो- अग्नि
- आटी -फंसा
- आरोगी- स्वस्थ
- आनमान- वैसा ही जैसा /ठीकवैसा ।
- आजिले -आगे को भी( /द्यूल़/देलै /मांगलै /कौलै आदि)
- आपसी -आपस का।
- आन-औलाद- सनतान
- आंख लागण,सितण, नीन औण-आंख लगना
- आंच ,राफ, हपक, चिसि,
- आंठ् -घास का एक वालिस्त ब्यास का पुलिंदा.
- आंफर-,बनकाटो( कुल्हाड़ी)आदि कृषि कार्य में काम आने वाले हथियारों में शान (धार तेज करना) लगाने वाली जगह,आंसि (दांतुलि)
- आलि- पुरि निकालनेर
- आसीन- भोजन ठंड करनु
- आदेश- गुरु को आदेश
- आंछरि- परि
- आंस -पत्थर पर लकीर
- आटो- जौं क् पिस्यूं
- आंखर- अक्षर(तुम आदि आंखर ले नी बोल्या)
- आदो- अदरक
- आंसि- दातुलि
- आशीष- शुभ आशीर्वचन
- आदलि-कुशलि -हालात
- आदिम- जनता
- आपनु -अपना
- आंच-कूंच -दूरदराज
- आगो- अग्नि
- आटी -फंसा
- आरोगी- स्वस्थ
- आनमान- वैसा ही जैसा /ठीकवैसा ।
- आजिले -आगे को भी( /द्यूल़/देलै /मांगलै /कौलै आदि)
- आपसी -आपस का।
- आहार= भोजन
- आफत= मुसीबत
- आँगघाल= आलिंगन
- आक्षेप=दोषारोपण
- आनाड-पिनाड़= आँत व पेट के अवयव इत्यादि
- आमूल- चूल=जड़ से शिखर तक
- आफी=अपनेआप, स्वयँ आंदोलन= स्पंदित होना
- आषाड़=महीने का नाम
- आधुनिक=आजकल के ज़माने का।
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